Saturday, 1 September 2012

वाटर! बांकेजी तो अपने घर के आदमी हैं


बांके एक बार अपने रिश्तेदार से मिलने उसके शहर गया...

जब उसे नाश्ता दिया गया तो उसने प्लेट में गंदगी लगी देखी...

बांके ने पूछा: प्लेटें सही ढंग से धुलती तो हैं न...?

रिश्तेदार: हां, बिल्कुल! ये प्लेटें वाटर से जितनी साफ हो सकती हैं हो जाती हैं...

दोपहर को जब खाने पर गंदी थाली देखी तो बांके ने फिर वही सवाल किया...

फिर वही जवाब मिला: वाटर से थालियां जितनी साफ हो सकती हैं, हो जाती हैं...

शाम को जब बांके बाहर घूमने निकला तो दरवाजे पर बंधा पालतू कुत्ता भौंकने लगा...

रिश्तेदार कुत्ते हो डपटते हुए बोला...

चुप करो वाटर! बांकेजी तो अपने घर के आदमी हैं...!!!

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