Saturday, 1 September 2012

नॉनस्टॉप हंसी: जब संता ने एक ही दिन में किए कई कारनामे

संता को लोग देखने से ही समझ जाते थे कि उसकी ऊपरी मंजिल खाली है। एक दिन वह दिल्ली गया अब यहां पढ़िए उसके साथ क्या-क्या हुआ...

स्टेशन पर एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूछा...
कुली ने कहा: "बाहर जाके पूछो"

उसने खुद ही रास्ता ढूंढ़ लिया।

बाहर जाकर टैक्सी वाले से पूछा: "भाई साहब लाल किले का कितना लोगे?"
जवाब मिला: "बेचना नही है"

टैक्सी छोड़, उसने बस पकड़ ली,

कंडक्टर से पूंछा: "जी, क्या मैं सिगरेट पी सकता हूं?"

कंडक्टर गुर्रा कर बोला: "हरगिज़ नहीं, यहां सिगरेट पीना मना है।"

संता ने कहा: "पर वे जनाब तो पी रहे हैं!"

कंडक्टर फिर से गुर्राया: "उसने मुझसे पूछा नहीं है"

लाल किले पहुंचा, होटल गया।

मैनेजर से कहा: "मुझे रूम चाहिए, सातवीं मंजिल पर"

मैनेजर ने कहा: "रहने के लिए या कूदने के लिए?"

रूम पंहुचा, वेटर से कहा: "एक पानी का गिलास मिलेगा?"

उसने जवाब दिया: "नहीं साहब , यहां तो सारे कांच के मिलते हैं"

होटल से निकला, दोस्त के घर जाने के लिए,

रास्ते में एक साहब से पूछा: "जनाब , ये सड़क कहां को जाती है?"

जनाब हंस कर बोले: "पिछले बीस साल से देख रहा हूं, यही पड़ी है... कहीं नहीं जाती है .....

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