जब आपको अपने आप से लड़ना पड़ता है तब महसूस होता है कि दुनिया से लड़ना कितना आसान है और फिर ऐसा समय आता है जब लगने लगता है कि मेरी जिन्दगी भी मेरी ना रही यह या तो उसकी हो जाती है जिससे आप डरते हैं या जिस पर आप मरते हैं इन दोनों के परे तो कुछ भी नहीं होता और दो हिस्सों में बंट कर भी यही लगता है कि अपने हिस्से तो कुछ आया ही नहीं लेकिन ये सोच कर संतोष कर लेते हैं कि मुझसे तो कुछ भी संभाला ना जाता । कितनी बार लगता है कि समर्पण में कितनी शक्ति है ऐसा कर के आप आक्रोश के आवेग से बच जाते हैं और दूसरी और प्यार के अनंत सागर में सुकून से खो जाते हैं ।
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