Sunday, 1 April 2012

दो फेसबुकिया शेर



दो फेसबुकिया शायर मुकाबला कर रहे थे

पहला- इतने खुद्दार थे, हम की कभी स्कूल, कॉलेज या मंदिर नहीं गए!
      वो तो लडकियों के शोक-ऐ-दीदार हे की फेसबुक पर ही बस गए।।

दूसराः लड़कियों के लिए फेसबुक पर बसकर भी तुम उल्लू ही बन रहे हो
      सानिया, तानिया, रोमा समझकर तुम रमेश, सुरेश कपिल से चैटिंग कर रहे हो।।

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